पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं, 698 मामले आए सामने
• अलीगढ़, संभल, मथुरा, बाराबंकी में हुई सबसे अधिक घटनाएं
• पराली जलाने वालों पर सख्ती बरतते हुए 7.05 लाख रुपये का लगाया गया जुर्माना
लखनऊ: प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रोत्साहन और सख्ती दोनों मोचौँ पर अमल के बावजूद जमीनी स्तर पर अनुकूल परिणाम नहीं मिले हैं। खेतों से उठने वाले धुएं की निगरानी के हालिया आंकड़े (20 अक्टूबर तक) यूपी में ऐसे 698 मामलों की पुष्टि कर रहे हैं, जबकि बीते वर्ष इस अवधि तक 364 घटनाएं सामने आईं थीं। प्रदेश में फसल अवशेष जलाने व अन्य कारणों से खेतों के करीब उठे धुएं से जुड़े सबसे अधिक मामले अलीगढ़ (136) में सामने आएं हैं।
इसके बाद संभल में 83, बाराबंकी में 57 और मथुरा में 57 मामले सामने आएं हैं। संयुक्त निदेशक कृषि जेपी चौधरी ने बताया कि इस वर्ष सितंबर माह में बारिश होने के कारण किसान समय से खेतों की सफाई नहीं कर पाए, घटनाओं में वृद्धि का यह भी एक प्रमुख कारण रहा है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं महज 257 ही रहीं हैं। शेष कूड़ा जलने व अन्य मामलों से संबंधित हैं। किसान खेतों के किनारे कूड़ा जलाने के लिए भी आग लगाते हैं।
चौधरी ने बताया कि पराली जलाने वालों पर सख्ती बरतते हुए 7.05 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कहीं 25 कंबाइन हार्वेस्टर सीज किए गए हैं जो बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के चल रहे थे। बता दें कि 20 अक्टूबर तक पंजाब में फसल अवशेष जलाने के कुल 1.44 मामले सामने आए हैं, जबकि बीत वर्ष इस अवधि तक 1,618 प्रकरण हुए थे। वहीं, हरियाणा में 653 मामले सामने आए हैं, वर्ष 2023 में वह 621 मामले सामने आए थे।