गेंदा फूल की खेती से आत्मनिर्भरता की ओर किसान
अरुण कुमार
बस्ती। किसान गेंहू, सरसो, धान जैसी फसल में ज्यादा मुनाफा न मिलने से खेती का ट्रेंड बदलना शुरू कर दिया है। किसानों में फूलों की खेती तरफ रुझान बढ़ रहा है। कम लागत में अच्छी आमदनी फूलों की खेती से संभव है।
जिले के बहादुरपुर विकास खंड के नगर बाजार माली टोला निवासी सलामुद्दीन जैविक खेती के साथ ही फूलों की खेती से अच्छा इनकम कर रहे हैं।सलामुद्दीन को देख आस पास के अन्य किसान भी फूलों की खेती करना शुरू कर रहे हैं।
किसान सलामुद्दीन ने बताया कि एक बीघा गेंदा लगाने में नर्सरी से लेकर खाद तक में ढाई से तीन हजार रुपये का खर्च आता है। जो थोड़ी मेहनत के साथ अच्छा मुनाफा मिल रहा हैं। इस से 30 से 40 हजार रुपये की मुनाफा हो जाती है। मौसमी खेती के साथ ही फूलों की खेती कर रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि अन्य फसलों को तो जंगली व छुट्टा पशु बर्बाद कर देते हैं। मगर, गेंदे की फसल को नीलगाय व अन्य जानवर खराब नहीं करते, जिससे नुकसान होने का जोखिम भी कम रहता है। इस फूल की सबसे अच्छी खासियत यह कि ढाई-तीन महीने में तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि गेंदे की खेती में मेहनत भी कम लगता है और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
इस समय बाजारों में गेंदा का फूल 100 से 120 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। शादियों व त्योहार के सीजन में इसकी डिमांड बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि गेंदा मुख्य रूप से ठंडी जलवायु वाली फसल है। ठंड के मौसम में गेंदे की वृद्धि और फूलों की गुणवत्ता अच्छी होती है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर गेंदे की खेती मानसून, सर्दी और गर्मी तीनों मौसमों में की जाती है। फरवरी के पहले सप्ताह के बाद और जुलाई के पहले सप्ताह से पहले गेंदा लगाने से उपज और फूलों की गुणवत्ता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए जुलाई के पहले सप्ताह से 15 दिनों के अंतराल पर बुवाई करने पर अक्टूबर से अप्रैल तक अच्छी उपज प्राप्त होती है। लेकिन सबसे ज्यादा पैदावार सितंबर में लगाए गए गेंदे से होती है।
इसके साथ ही गांव निवासी इम्तियाज अली, जुमेराती और हुसैन अली भी गेंदा के फूलों की खेती कर रहे हैं। इन लोगों ने बताया कि बनारस से गेंदा का पौधा लाते हैं। जिसे बस्ती, संतकबीर नगर और अयोध्या तक के लोग खरीदने आते हैं।