हर 6 व्यक्ति निःसंतानता से परेशान क्यों ? भारत और इन देशों में दर ज्यादा :- डॉ चंचल शर्मा..

 हर 6 व्यक्ति निःसंतानता से परेशान क्यों ? भारत और इन देशों में दर ज्यादा :- डॉ चंचल शर्मा

निःसंतानता की समस्या (Problem Of Infertility) अब किसी एक देश की न रहकर वैश्विक समस्या बन चुकी है। यह समस्या खासतौर से ईस्टर्न देशों में पायी जाती है जैसे भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देश निःसंतानता की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीँ भूमध्यसागरीय देखों की फर्टिलिटी बहुत अच्छी है। जब कोई भी स्वस्थ दंपत्ति लगातार एक साल तक असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाकर गर्भवती होने की कोशिश करता है और उसमे विफल हो जाता है तो उस स्थिति को निःसंतानता कहते हैं।  



    यह दोष महिला या पुरुष दोनों में हो सकता है इसलिए आप केवल महिला को इसके लिए दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। भारत जैसे देश में हर छठा व्यक्ति इसका सामना कर रहा है। लोगों का बिगड़ता स्वास्थ्य, जीवनशैली, खानपान, आदि ऐसे कारक हैं जो फर्टिलिटी पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। अन्य कारकों को देखे तो देर से शादी करना, शारब पीना, स्मोकिंग करना या अन्य किसी नशीले पदार्थ का सेवन करना आपकी फर्टिलिटी को कम कर सकता है। 

  भारत की बात करे तो दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में निःसंतानता की दर अधिक है। WHO की स्टडी की माने तो यह आंकड़ा 15-49 वर्ष की महिलाओं की जन्मदर के आधार पर निकला जाता है। 

उपचार की महँगी कीमत : आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा कहती हैं निःसंतानता की बढ़ती समस्या का एक कारण इसके उपचार की उच्च लागत भी है क्यूंकि बहुत से लोग सही समय पर बीमारी का पता भी लगा लेते हैं और संतान प्राप्ति का प्रयास भी करते हैं लेकिन IVF जैसी चिकित्सा सुविधाएं हर किसी के वश की बात नहीं है इसलिए अक्सर गरीब घरों में संतान प्राप्ति का यह सुख अधूरा रह जाता है।

     लेकिन लोगो को यह बात समझनी होगी कि सिर्फ सर्जरी या एलोपैथी के द्वारा ही इसका समाधान संभव नहीं है बल्कि उससे ज्यादा सफलता दर आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment) की है जो भारत में बहुत समय से चलती आ रही है और यह किसी भी पेशेंट के लिए अफोर्डेबल है। इसमें बिना किसी सर्जरी के सिर्फ दवाओं, थेरेपी, योगा प्राणायाम और डाइट के द्वारा मरीजों को नैचुरली कंसीव करने का मौका मिलता है। 


आवश्यक उपाय: यदि भारत जैसे विकासशील देश के नजरिये से देखें तो लगता है कि सबसे बड़ी जरुरत है लोगों के बिच में जागरूकता पैदा करना जिससे लोग खुलकर आपस में इन समस्याओं के बारे में बात कर सके और एक दूसरे को निःसंतानता के लिए आरोपित न करें बल्कि एक दूसरे का इस मुश्किल घडी में साथ दें। दूसरी बात लोगों को यह समझना होगा की यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। 

    हमारी चिकित्सा विज्ञान (Medical Science ने इतनी तरक्की कर ली है की सब संभव हो चूका है इसलिए इसमें निराश होने की कोई बात नहीं है। लोगों की ज़िन्दगी में बढ़ता तनाव भी इसका एक प्रमुख कारण है इसलिए जितना हो सकते खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तनाव रहित रखें। ये कुछ ऐसे बिंदु है जिसपे ध्यान देकर आप निःसंतानता से छुटकारा पा सकते हैं। यदि आप भी ऐसी समस्या का सामना कर रहे है तो परेशान न हों और अपने पास के किसी अच्छे डॉ से कंसल्ट करें और अपनी बीमारी का कारण जानने की कोशिश करें। आप चाहें तो आशा आयुर्वेदा के क्लिनिक में अपॉइंटमेंट लेकर आ सकते हैं यहाँ पूर्णतः आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से आपका ट्रीटमेंट किया जायेगा जिसका सफलता दर 95% तक दर्ज किया गया है।

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