ऑटो रिक्शा चलाकर 7 परिवारों का करते है पालन पोषण करते है राजेन्द्र
-30 वर्षों से करते हैं गाड़ी चलाने का कार्य
-18 वर्ष की उम्र में बने थे गाड़ी चालक
बस्ती। बस्ती जिले के सैफाबाद गांव निवासी राजेंद्र 30 वर्षों से गाड़ी चलाने का कार्य करते हैं। इसी से इनके सात परिवारों का खर्चा चलता है। गाड़ी लेकर रात दिन मेहनत करते हैं। तब जाकर खर्चा निकल पाता है। इस मंहगाई में गाड़ी चलाकर परिवार को चलाना कठिन हो गया है।
कलवारी थाना क्षेत्र की अंतर्गत सैफाबाद का निवासी राजेंद्र 18 वर्ष की अवस्था में ही गाड़ी की स्टेरिंग पकड़ लिए और परिवार का पालन पोषण करने में जुड़ गए। राजेंद्र मोटर मालिकों का जीप चलाते थे। उन्होंने काफी दिन तक जीप चलाया। जीप का जमाना बदल गया बाजारों में ऑटो आ गए फिर उनका धंधा बंद होने लगा। धंधा बंद होने के बाद उन्होंने ऑटो को चलाना शुरु किया। 2 साल पहले उन्होंने अपना खुद का ऑटो खरीदा और उसी चला रहे है। राजेंद्र बताते एक जमाना था रात दिन जीप को चलना पड़ता था। दिन भर सवारियों को ढोना और शाम को सट्टा उठाना पढ़ता था।
दिन में होटल पर भोजन करना पड़ता था। लेकिन अब दिनभर गाड़ी चलाने के बाद परिवार का खर्चा नहीं कर पाता हैं। महंगाई का दौड़ चल रहा है दिन भर कमाने के बाद पैसा कुछ नहीं बच पाता है। गाड़ी को चला कर बच्चों को पढ़ना लिखना जैसे तमाम जिम्मेदारिया होती है। इसलिए समय को साथ हम लोगों को भी बदलना पड़ रहा है। राजेंद्र पर लोगों का बड़ा विश्वास था अभी भी इस विश्वास पर राजेंद्र कायम है। लोग उन्हें फोन करके इधर-उधर जाने के लिए बुकिंग करते है। व्यापारी भी अपने सामानों को लाने के लिए राजेंद्र को खोजते हैं।
राजेंद्र से चिलमा बाजार में मुलाकात हुई। दोपहर का वक्त था बाजार में कहीं छांव नहीं दिखाई पड़ रहा था बाजार में सन्नाटा था ऑटो में बैठकर के सवारी का इंतजार कर रहे थे। इस समय हमारी मुलाकात हुई गाड़ी पर बैठ करके बहुत सारी बातें हुई बातों में उन्होंने अपना दर्द बताया। इस दर्द भरी कहानी को देखकर मुझे लगा कि लोग रोजी-रोटी के लिए गाड़ी चला कर कितनी मेहनत करते हैं बिना भोजन के पूरा दिन गुजार देते हैं। तब जाकर शाम को लोगों को दो वक्त की रोजी का जुगाड़ होता है। ऐसे बहुत से लोग आपको देखने को मिल जाएंगे जिनके दिन भर कमाने के बाद शाम को उनके घर सब्जी पहुंचती है।